शनि का नाम सुनते ही या शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनते ही या शनि की महादशा शुरू होने वाली है सुनते ही अच्छे अच्छो की रूह कांप उठती है ,कई नासमझ तो यहाँ तक सोचने लगने है कि ये ग्रह न होता तो अच्छा होता जैसे कई कहते हैं राहु-केतु न होते तो अच्छा होता ---मगर ये संभव नहीं है आप जानते हैं शनि वो वायु है जिसमे हम सांस लेते है अब जरा सोचिये वायु के बिना कोई जीने की कल्पना कर सकता है क्या? शनि कल पुरुष का दुःख है ये ठीक है शनि दुःख का कारक है मगर जरा सोचिये दुःख ही अगर न हो तो सुख को कैसे पहचानेंगे। रात अगर न हो तो दिन की कीमत क्या होती? शनि श्रम है श्रम के बिना कुछ भी संभव नहीं दुनिया में ---शनि कृषि का कारक है शनि ही न हो तो हमे भोजन ही न मिले। अब राहु केतु ---राहु आपका सामने का हिस्सा है केतु आपका पिछला हिस्सा जिसे आप देख नहीं पाते। अब बताये कैसे संभव है की राहु केतु न हो।
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