दुनियाँ में १००% सही कुछ भी नहीं हर चीज़ की अपनी सीमायें हैं। ---अब जैसे एक ''तकिया कलाम'' बहुत इस्तेमाल होता है कि कोई दैवज्ञ(ज्योतिषी) गलत हो सकता है मगर ज्योतिष शाश्त्र कभी गलत हो ही नहीं सकता ,कोई ये नहीं बोलता कि ज्योतिष शाश्त्र की भी अपनी सीमायें है। ये तो कुछ ऐसा ही हुआ कि बस चलाने वाला गलत हो सकता है बस कभी गलत नहीं हो सकती। युग बहुत बड़ी चीज़ होती है युग परिवर्तन के साथ ही कुछ मान्यताये खत्म हो जाती है या इस्तेमाल के लायक नहीं रह जाती ---आज कई साधनाए है जिसमे स्त्री-पुरुष का योगदान जरुरी है मगर आधुनिक युग में आप ऐसा नहीं कर सकते या जायज नहीं है---अगर जायज हैं तो ''आशाराम बापू'' को दोषी न माने आप एकदम। हो सकता है वो कोई साधना कर रहे हो। पाराशर मुनि ने जो माता सत्यवती के साथ किया आज ऐसा करने का दुस्साहस कोई नहीं कर सकता।
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