द्वितीय भाव आने का सफलता का भाव और एकादश भाव धन का भाव -- यानि द्वितीय भाव का जो फल है उसे एकादश से दिखला रहे हैं और एकादश के फल को द्वितीय से जोड़ दिया है -- कहाँ ले जा रहे हैं ये लोग?? ऐसी पोस्ट डालने वाले ने किसी बहुत बड़े गुरु महाराज की फोटो प्रोफाइल में लगाईं हुई है - अब वो दिन भी दूर नहीं जब कोई आकर कहेगा हाँ ये सही है ''according to नाड़ी ज्योतिष''-- ऐसे ही बिखराव होता रहता है।
एक डड्डू इसी तरह छठे भाव को धन भाव बतला रहा था - अब आप बताओ ऐसे गुरुओ से सीख कर चेले सोशल मिडिया पर क्या बोलेंगे -वही बोलेंगे न जो गुरु सिखा दिया ऊपर से गुरु निन्दा पाप भी समझा दिया
ऐसा नहीं है कि ऐसा पानी सिर्फ ज्योतिष के पेशे में ही है - सबमे हैं - हर क्षेत्र में हैं - चूँकि मेरा विषय यही है इसलिए मैं इसी पर बोलूँगा।
अब वही चेला हर मँच पर गुरु की गलत बातों को डिफेंड भी करेगा और सबस लड़ेगा भी -- अब कोई कह सकता है मैने इन्ही गुरजी से फलादेश लिया था सही था-- भाई बंद घड़ी भी २ बार सही टाइम बतलाती है - उस तर्ज़ पर कुछ न कुछ तो सही हो ही जाएगा।
भावात भाव की भी गलत व्याख्या देखिये छठे के छठे भाव को भी अशुभ बतलाया जा रहा है -- जबकि एकादश रोगमुक्ति का भाव है - मुश्किल ये हैं कि भावात भाव किस संदर्भ में देखना है यही कोई नहीं बतलाता -- लग्नेश का तो नाम भी नहीं लेते और भावात भाव का गाना गाते रहते हैं -- जैसे आजकल जरा कम हो गया है मगर पिछले ३ साल पहले दशमेश का अष्टम में बैठना को शुभ बतलाने वालो की एक फ़ौज खड़ी हो गई थी-- क्यों??? तो वो इसलिए कि अष्टम भाव दशम भाव से एकादश है इसलिए -- हकीकत में ये बात इनकी समझदानी में नहीं घुसती थी कि ये स्थिति दशम भाव के लिए अच्छी है लग्नेश के लिए नहीं --यानि जातक के लिए नहीं -इसका सीधा फलादेश ये हैं कि जातक राज्य सरकार से अगर मुकदम्मे बाज़ी करेगा तो मुक्द्म्मा हार जायेगा - क्योंकि दशम भाव अपने से लाभ में - मगर जातक के लिए अष्टम में है- ये भी एक तरीका है भावात भाव को समझने का -- अब चूँकि मैं लच्छेदार और घुमावदार बातें -सजा कर एक इवेंट पोस्ट नहीं लिखता इसलिए लोगो को लगता है ये सही नहीं बोल रहा है शायद -- जिसने घुमाफिरा कर समझ में न आने वाली बातें लिखी है उसने गूढ़ ज्ञान बतलाया है -- ये उसी आर्ट एक्सिबिशन वाली कहानी की तरह है कि आयोजकों को जो तस्वीर समझ में नहीं आयी उसी को फर्स्ट प्राइज दे दिया -जबकि वो कोई तस्वीर ही नहीं थी कलाकारों ने अपना ब्रश पोछा था उसपर।
एक डड्डू इसी तरह छठे भाव को धन भाव बतला रहा था - अब आप बताओ ऐसे गुरुओ से सीख कर चेले सोशल मिडिया पर क्या बोलेंगे -वही बोलेंगे न जो गुरु सिखा दिया ऊपर से गुरु निन्दा पाप भी समझा दिया
ऐसा नहीं है कि ऐसा पानी सिर्फ ज्योतिष के पेशे में ही है - सबमे हैं - हर क्षेत्र में हैं - चूँकि मेरा विषय यही है इसलिए मैं इसी पर बोलूँगा।
अब वही चेला हर मँच पर गुरु की गलत बातों को डिफेंड भी करेगा और सबस लड़ेगा भी -- अब कोई कह सकता है मैने इन्ही गुरजी से फलादेश लिया था सही था-- भाई बंद घड़ी भी २ बार सही टाइम बतलाती है - उस तर्ज़ पर कुछ न कुछ तो सही हो ही जाएगा।
भावात भाव की भी गलत व्याख्या देखिये छठे के छठे भाव को भी अशुभ बतलाया जा रहा है -- जबकि एकादश रोगमुक्ति का भाव है - मुश्किल ये हैं कि भावात भाव किस संदर्भ में देखना है यही कोई नहीं बतलाता -- लग्नेश का तो नाम भी नहीं लेते और भावात भाव का गाना गाते रहते हैं -- जैसे आजकल जरा कम हो गया है मगर पिछले ३ साल पहले दशमेश का अष्टम में बैठना को शुभ बतलाने वालो की एक फ़ौज खड़ी हो गई थी-- क्यों??? तो वो इसलिए कि अष्टम भाव दशम भाव से एकादश है इसलिए -- हकीकत में ये बात इनकी समझदानी में नहीं घुसती थी कि ये स्थिति दशम भाव के लिए अच्छी है लग्नेश के लिए नहीं --यानि जातक के लिए नहीं -इसका सीधा फलादेश ये हैं कि जातक राज्य सरकार से अगर मुकदम्मे बाज़ी करेगा तो मुक्द्म्मा हार जायेगा - क्योंकि दशम भाव अपने से लाभ में - मगर जातक के लिए अष्टम में है- ये भी एक तरीका है भावात भाव को समझने का -- अब चूँकि मैं लच्छेदार और घुमावदार बातें -सजा कर एक इवेंट पोस्ट नहीं लिखता इसलिए लोगो को लगता है ये सही नहीं बोल रहा है शायद -- जिसने घुमाफिरा कर समझ में न आने वाली बातें लिखी है उसने गूढ़ ज्ञान बतलाया है -- ये उसी आर्ट एक्सिबिशन वाली कहानी की तरह है कि आयोजकों को जो तस्वीर समझ में नहीं आयी उसी को फर्स्ट प्राइज दे दिया -जबकि वो कोई तस्वीर ही नहीं थी कलाकारों ने अपना ब्रश पोछा था उसपर।
No comments:
Post a Comment