दाम्पत्य जीवन में शांति के लिए सिर्फ कुंडली का ही रोना न रोये और न ही ज्योतिष या ज्योतिष शाश्त्र को दोषारोप करते फिरे। दाम्पत्य जीवन में सुख चाहते हैं तो कुछ आपकी तरफ से भी ऐसा होना चाहिए जिससे जीवन में सुख शांति रहे -इस अड़ी पर न अड़े रहे कि हम तो जी अपने व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं लाएंगे ,बस ज्योतिषी कोई उपाय बता दे। कोई ऐसा रत्न पहना दे जिससे सब कुछ ठीक हो जाए। ज्योतिषीय उपाय भी तभी काम करते हैं जब आप उन उपायो को सफल करने के लिए व्यवहारिक ज्ञान का भी उपयोग करते है। कुछ ऐसी बाते हैं जिन्हे अपना कर आप अपना जीवन सुखी कर सकते हैं।
१--- विवाह के बाद घर की सारी जिम्मेदारी पत्नी पर आ जाती है। घर सम्भालना रसोई सम्भालना बच्चे हो तो उनको सम्भालना। ठीक है पति कमा कर लाता है ,पर कभी कभी उनके इन कामो में हाथ बटाएं। दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है। यहाँ इस वक्त पति की माँ को उचित है कि वो हस्तक्षेप न करे। क्योंकि जोरू का गुलाम जैसा शब्द माँ-बाप के पहले निकलता है और पति चाहते हुए भी पत्नी की मदद नहीं करता। तो अगर आप माता-पिता है और आपके घर में बहु है तो आपका कर्तव्य है कि आप बेटे और बहु की व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप न करे। जबकि ज्यादातर परिवारो में पति-पत्नी के झमेले के पीछे मूल रूप से माता-पिता जिम्मेदार होते है।
२--- पत्नी को भी चाहिए कि पति अपनी माता-पिता का अगर ख्याल रखता है तो उसे कटाक्ष न करे ,जरा अपने ऊपर लेकर सोचे कि कैसे अपने माता-पिता के बारे में सोच कर उसकी जान निकली जाती है।
३--- पत्नी के मायके में कोई काम हो तो पति को उसमे ख़ुशी-ख़ुशी मदद करनी चाहिए इससे पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है। जबकि हकीकत में पति ऐसा करना अपनी हेठी समझते हैं। कुछ ये आशा तो करते है कि उनकी पत्नी सास ससुर का पूर्ण सम्मान करे पर पति अपने सास-ससुर का सम्मान करना भूल जाता है ,यहाँ पत्नी के मन में तकलीफ होती है जो दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है।
४--- पत्नी कोई भी गलती करती है तो उसे तो दोषी बोलते ही है साथ में तुम्हारे माता-पिता ने क्या सिखाया ऐसा ताना मारना नहीं भूलते जो कि गलत है।
५--- कुछ पति अपने मन में बज्र धारणा बना कर चलते हैं कि उनकी पत्नी बज्र मुर्ख है और वो बहुत बड़े बुद्धिजीवी इसलिए भी उनके बीच मानसिक दुरी इतनी बढ़ जाती है कि दाम्पत्य जीवन में तनाव का कारण बनता है। पति अपने इस अहम को यहाँ त्यागे। पहल तो भारतीय परपंरा के अनुसार अक्सर पत्नी की उम्र कम ही होती है ,इसलिए यहाँ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए , खुद को पहले ही श्रेष्ठ मान कर उनसे व्यवहार न करे आपने कोई प्रतियोगिता नहीं जीतनी है।
६--- पत्नी को भी चाहिए कि अगर वो सम्पूर्ण घरेलु नारी है तो पति के बाहरी जीवन में बहुत ज्यादा ताक झाँक न करे ,अक्सर शक करते रहने की वजह से भी जीवन में जहर घुल जाता है। क्योंकि आज प्रतियोगिता के युग में ऐसा बहुत कुछ करना पड़ता है जिसे नैतिकता कभी इजाजत नहीं देती पर जीना है तो पैसा कमाना भी बहुत जरुरी है। आजकल कई बड़ी कम्पनियाँ अपने डीलरो इत्यादो को टूर पैकेज देती है। बड़ी कंपनी की तरफ से पार्टी दी जाती है जहाँ शराब और शवाब का नंगा नाच होता है। अब ये कुछ हद्द तक मज़बूरी भी बन जाता है। आपने जिन लोगो के साथ काम करना है तो पूरा न सही कुछ हद्द तक उनके रंग में रंगना पड़ता है। वरना यही पति सही तरीके से कमा कर नहीं लाएगा तो कुत्तो जैसा व्यवहार आप ही करेंगी उनसे। ऐसे मामलों जरुरत से ज्यादा सपर्श-कातर होना आपके दाम्पत्य जीवन का सत्यानाश कर सकता है।
७--- अक्सर पति अपनी बीवी की सबके सामने खिल्ली उड़ा देते हैं और अपनी पत्नी को शर्मिंदा करते हैं। ऐसा करना बहुत खतरनाक है। आपकी पत्नी की कोई गलती है भी तो उसे अकेले में समझाएं। दुसरो के सामने उसकी तारीफ करें ताकि आपकी पत्नी को लगे कि कोई है जो उसके समर्थन में है इससे आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
८--- अपनी पत्नी के जन्म-दिन की तारीख और खास करके विवाह की तारीख न भूले। उनके लिए ये दोनों बहुत मायने रखती है। विवाह की तारीख ख़ास इसलिए क्योंकि आपकी पत्नी अपना सबकुछ त्याग कर उस दिन आपके पास आई हुई होती है। बहुत प्यार करने वाले लोगो को त्याग कर आई हुई होती है। उसे लगना चाहिए न जिसके लिए सब त्यागा वो भी उसे प्यार करता है।
९--- कोई भी समारोह हो जन्म-दिन विवाह इत्यादि अपनी पत्नी को साथ लेकर जाएँ और उन पार्टियो में फ्लर्ट न करे। घर में कोई भी समारोह हो अपनी पत्नी को भी मुख्य दायित्व में रखे नहीं तो बहुदा ऐसा होता है। रहती तो आपके साथ आपकी पत्नी है और ऐसे समारोहों में मुखिया कोई और बन कर हुक्म चलाने लगता है। ऐसा न करे। भले ही अपने सम्मान के खातिर अपने फूफा-जीजा -भाभी-चाची आदि को महत्व देना है पर अपनी पत्नी को महत्वहीन बना कर उन्हें महत्व ने दे। बराबर का महत्व दे।
१०--- पत्नी के लिए कोई न कोई उपहार लाते रहे। पत्नी भी अपने पति को कोई न कोई उपहार देती रहे -घर की मुर्गी दाल-बराबर न समझ ले। अपने दाम्पत्य जीवन में किसी तीसरे को दखल ने देने दे। चाहे वो आपके माता-पिता ही क्यों न हो। फ़ालतू की बातें दिमाग में न लाये कि इससे माता-पिता का अपमान हो जाएगा और आपको नरक का भागी बनना पड़ेगा ,बड़े प्यार से उन्हें कह दे कि इस मामले को मैं खुद संभाल लूंगा। पत्नी को भी चाहिए कि अपने माता-पिता का दखल ने डाले। आप ऊपर के स्वर्ग के चक्कर में यहाँ जीवन को नरक बना लेंगे।
११--- इस सब के बावजूद जिंदगी नहीं सुधर रही है तो शांति से अलग हो जाए।
यहाँ ऊपर जो भी लिखा है मेरा व्यक्तिगत आकलन व् अनुभव है।
१--- विवाह के बाद घर की सारी जिम्मेदारी पत्नी पर आ जाती है। घर सम्भालना रसोई सम्भालना बच्चे हो तो उनको सम्भालना। ठीक है पति कमा कर लाता है ,पर कभी कभी उनके इन कामो में हाथ बटाएं। दाम्पत्य जीवन में मधुरता आती है। यहाँ इस वक्त पति की माँ को उचित है कि वो हस्तक्षेप न करे। क्योंकि जोरू का गुलाम जैसा शब्द माँ-बाप के पहले निकलता है और पति चाहते हुए भी पत्नी की मदद नहीं करता। तो अगर आप माता-पिता है और आपके घर में बहु है तो आपका कर्तव्य है कि आप बेटे और बहु की व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप न करे। जबकि ज्यादातर परिवारो में पति-पत्नी के झमेले के पीछे मूल रूप से माता-पिता जिम्मेदार होते है।
२--- पत्नी को भी चाहिए कि पति अपनी माता-पिता का अगर ख्याल रखता है तो उसे कटाक्ष न करे ,जरा अपने ऊपर लेकर सोचे कि कैसे अपने माता-पिता के बारे में सोच कर उसकी जान निकली जाती है।
३--- पत्नी के मायके में कोई काम हो तो पति को उसमे ख़ुशी-ख़ुशी मदद करनी चाहिए इससे पति-पत्नी में प्रेम बढ़ता है। जबकि हकीकत में पति ऐसा करना अपनी हेठी समझते हैं। कुछ ये आशा तो करते है कि उनकी पत्नी सास ससुर का पूर्ण सम्मान करे पर पति अपने सास-ससुर का सम्मान करना भूल जाता है ,यहाँ पत्नी के मन में तकलीफ होती है जो दाम्पत्य जीवन में जहर घोलता है।
४--- पत्नी कोई भी गलती करती है तो उसे तो दोषी बोलते ही है साथ में तुम्हारे माता-पिता ने क्या सिखाया ऐसा ताना मारना नहीं भूलते जो कि गलत है।
५--- कुछ पति अपने मन में बज्र धारणा बना कर चलते हैं कि उनकी पत्नी बज्र मुर्ख है और वो बहुत बड़े बुद्धिजीवी इसलिए भी उनके बीच मानसिक दुरी इतनी बढ़ जाती है कि दाम्पत्य जीवन में तनाव का कारण बनता है। पति अपने इस अहम को यहाँ त्यागे। पहल तो भारतीय परपंरा के अनुसार अक्सर पत्नी की उम्र कम ही होती है ,इसलिए यहाँ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए , खुद को पहले ही श्रेष्ठ मान कर उनसे व्यवहार न करे आपने कोई प्रतियोगिता नहीं जीतनी है।
६--- पत्नी को भी चाहिए कि अगर वो सम्पूर्ण घरेलु नारी है तो पति के बाहरी जीवन में बहुत ज्यादा ताक झाँक न करे ,अक्सर शक करते रहने की वजह से भी जीवन में जहर घुल जाता है। क्योंकि आज प्रतियोगिता के युग में ऐसा बहुत कुछ करना पड़ता है जिसे नैतिकता कभी इजाजत नहीं देती पर जीना है तो पैसा कमाना भी बहुत जरुरी है। आजकल कई बड़ी कम्पनियाँ अपने डीलरो इत्यादो को टूर पैकेज देती है। बड़ी कंपनी की तरफ से पार्टी दी जाती है जहाँ शराब और शवाब का नंगा नाच होता है। अब ये कुछ हद्द तक मज़बूरी भी बन जाता है। आपने जिन लोगो के साथ काम करना है तो पूरा न सही कुछ हद्द तक उनके रंग में रंगना पड़ता है। वरना यही पति सही तरीके से कमा कर नहीं लाएगा तो कुत्तो जैसा व्यवहार आप ही करेंगी उनसे। ऐसे मामलों जरुरत से ज्यादा सपर्श-कातर होना आपके दाम्पत्य जीवन का सत्यानाश कर सकता है।
७--- अक्सर पति अपनी बीवी की सबके सामने खिल्ली उड़ा देते हैं और अपनी पत्नी को शर्मिंदा करते हैं। ऐसा करना बहुत खतरनाक है। आपकी पत्नी की कोई गलती है भी तो उसे अकेले में समझाएं। दुसरो के सामने उसकी तारीफ करें ताकि आपकी पत्नी को लगे कि कोई है जो उसके समर्थन में है इससे आपसी प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
८--- अपनी पत्नी के जन्म-दिन की तारीख और खास करके विवाह की तारीख न भूले। उनके लिए ये दोनों बहुत मायने रखती है। विवाह की तारीख ख़ास इसलिए क्योंकि आपकी पत्नी अपना सबकुछ त्याग कर उस दिन आपके पास आई हुई होती है। बहुत प्यार करने वाले लोगो को त्याग कर आई हुई होती है। उसे लगना चाहिए न जिसके लिए सब त्यागा वो भी उसे प्यार करता है।
९--- कोई भी समारोह हो जन्म-दिन विवाह इत्यादि अपनी पत्नी को साथ लेकर जाएँ और उन पार्टियो में फ्लर्ट न करे। घर में कोई भी समारोह हो अपनी पत्नी को भी मुख्य दायित्व में रखे नहीं तो बहुदा ऐसा होता है। रहती तो आपके साथ आपकी पत्नी है और ऐसे समारोहों में मुखिया कोई और बन कर हुक्म चलाने लगता है। ऐसा न करे। भले ही अपने सम्मान के खातिर अपने फूफा-जीजा -भाभी-चाची आदि को महत्व देना है पर अपनी पत्नी को महत्वहीन बना कर उन्हें महत्व ने दे। बराबर का महत्व दे।
१०--- पत्नी के लिए कोई न कोई उपहार लाते रहे। पत्नी भी अपने पति को कोई न कोई उपहार देती रहे -घर की मुर्गी दाल-बराबर न समझ ले। अपने दाम्पत्य जीवन में किसी तीसरे को दखल ने देने दे। चाहे वो आपके माता-पिता ही क्यों न हो। फ़ालतू की बातें दिमाग में न लाये कि इससे माता-पिता का अपमान हो जाएगा और आपको नरक का भागी बनना पड़ेगा ,बड़े प्यार से उन्हें कह दे कि इस मामले को मैं खुद संभाल लूंगा। पत्नी को भी चाहिए कि अपने माता-पिता का दखल ने डाले। आप ऊपर के स्वर्ग के चक्कर में यहाँ जीवन को नरक बना लेंगे।
११--- इस सब के बावजूद जिंदगी नहीं सुधर रही है तो शांति से अलग हो जाए।
यहाँ ऊपर जो भी लिखा है मेरा व्यक्तिगत आकलन व् अनुभव है।
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