एक लकड़हारा था उसे एक बार लकड़ियाँ काटने का ठेका मिला उस लकड़हारे ने पहले दिन ९ मन लकड़ी काटी, दुसरे दिन ७ , तीसरे दिन ५ मन ही., तब मालिक ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया की मैं तो निरंतर लकड़ी काटने में लगा रहता हु . मालिक ने कुल्हाड़ी देखी और पूछा की तुम कुल्हाड़ी पैनी करते हो या नहीं. मजदूर बोला में इस कार्य में समय वर्बाद नहीं करता. मालिक बोला इसी कारण तुम कम लकड़ी काट पा रहे हो. हर दिन २५-३० मिनट अपनी कल्हड़ी को पैनी करने में लगाओ...
यह बात हम सभी पर भी लागु होती है हम छात्र है या नौकरी करते हैं हमें अपने दिमाग को तेज करना ही पड़ेगा. सबसे पहले अपनी सोच को सकारात्मक बनाइये . हम जैसा सोचते और महसूस करते हैं वैसे ही बन जाते हैं . सोच को सकारात्मनक करने के लिए ज़रूरी है सकारात्मक विचारों को पढे , अपने जीवन को एक नियम श्रंखला में बाँधे।
यह बात हम सभी पर भी लागु होती है हम छात्र है या नौकरी करते हैं हमें अपने दिमाग को तेज करना ही पड़ेगा. सबसे पहले अपनी सोच को सकारात्मक बनाइये . हम जैसा सोचते और महसूस करते हैं वैसे ही बन जाते हैं . सोच को सकारात्मनक करने के लिए ज़रूरी है सकारात्मक विचारों को पढे , अपने जीवन को एक नियम श्रंखला में बाँधे।
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