Monday, 21 May 2018

एक लकड़हारा था उसे एक बार लकड़ियाँ काटने का ठेका मिला उस लकड़हारे  ने पहले दिन ९  मन   लकड़ी काटी, दुसरे दिन ७   , तीसरे दिन ५  मन   ही., तब  मालिक ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया की मैं  तो निरंतर लकड़ी काटने में लगा रहता हु . मालिक ने कुल्हाड़ी देखी और पूछा की तुम कुल्हाड़ी पैनी करते हो या नहीं. मजदूर बोला में इस कार्य में समय वर्बाद नहीं करता. मालिक बोला इसी कारण तुम कम लकड़ी काट पा रहे हो. हर दिन २५-३० मिनट अपनी कल्हड़ी को पैनी करने में लगाओ... 

यह बात हम  सभी पर भी लागु होती है हम छात्र   है या नौकरी करते हैं   हमें अपने दिमाग  को तेज  करना ही पड़ेगा. सबसे पहले अपनी सोच को सकारात्मक  बनाइये . हम जैसा सोचते और महसूस करते हैं वैसे ही बन जाते हैं . सोच को सकारात्मनक  करने के लिए ज़रूरी है सकारात्मक विचारों को  पढे , अपने जीवन को एक नियम श्रंखला में बाँधे। 

Sunday, 20 May 2018



Herbs

रत्न के बदले मूल (पेड़ की जड़) पहनी जाती है ये सभी जानते हैं---मगर जड़ो के साथ-साथ कुछ ख़ास पेड़-पौधे भी हैं जो घर पर लगाये जाएँ तो ग्रह अच्छा फल देते हैं---
ग्रह ---------रत्न-----------जड़-----------------पेड़ पौधे
सूर्य------माणिक्य---बेल की जड़---सूर्यमुखी फूल,आम,पपीते का पेड़।
चन्द्र------मोती---------खिरनी-----------लौकी का पेड़।
मंगल-----मूंगा-------अनन्त मूल--------लाल-मिर्च।
बुध-------पन्ना-------विधारा -----------धनिया,सौंफ,मेथी।
गुरु------पुखराज-----केले की जड़------लौंग,केला,हल्दी का पेड़।
शुक्र-----हीरा--------स्वेत-लज्जावती---कच्चे आम,हरी मिर्च,सफ़ेद फूल।
शनि-----नीलम------शमी----------------सेव,नारंगी,निम्बू।
राहु-----गोमेद-----स्वेत-चन्दन----------सेव,नारंगी,निम्बू।
केतु---लहसुनिया--अश्वगंध--------------लाल मिर्च।

Spirituality

आजकल जिसे देखो अध्यात्म का झुनझुना बजा रहा है। कर्म चक्र बड़े बड़े महारथियों को समझ में नहीं आया अभी तक -कोई इतना आसान है इसे समझना? कहते हैं जीव हत्या न करो ,मगर एक किसान कीड़ो से बचाने के लिए क्या क्या छिड़काव करता है, क्या वो ये न करे? खाओगे क्या तब? घर में तिलचट्टे ,मच्छर मारने को क्या क्या यत्न नहीं करते न मारे? मर जाएँ मच्छर से कटवा कर मलेरिआ से? सर में जुएँ पड़ जाए तो न मारे उन्हें? मारते तो हैं जीव हत्या तो हो गई ये भी। जीव तो जीव ही है जब जीव हत्या की बात आती है तो सिर्फ बकरा-मुर्गा-गाय-मछली तक ही क्यों अटके फिर हर जीव को न मारने का प्रण ले। उत्तर इतना आसान नहीं , कोई ब्रह्मऋषि भी इसका उत्तर शायद ही दे पाये। क्या करोगे तो क्या फल मिलेगा ,इसका उत्तर बहुत कठीण है। अभी जिसे देखो आओ अध्यात्म अध्यात्म खेल रहा है जिसे देखो प्रवचन दे रहा है।