कुछ भी बिना पढ़े या अध्ययन किये बगैर नहीं आ सकता -और सब कुछ भी सिर्फ अध्ययन करने से नहीं आ सकता। ज्योतिष का मुख्य उद्देश्य सिर्फ फलादेश नहीं है फिर भी फलादेश ही आखिरी पैमाना भी है। पर फलादेश किस हद्द तक दिया जा सकता है ये चर्चा का भी विषय है सोच और अपनी समझ का भी विषय है। - इंसान की इच्छा का कोई अंत नहीं है और ये भी सच है कि ज्योतिष के पास लोग सलाह के लिए कम और इच्छा पूर्ती बाबा के हिसाब से ज्यादा जाते हैं। हकीकत यही है हर इच्छा की पूर्ती संभव नहीं या समय सीमा लम्बी भी हो सकती है पर हथेली पर सरसो उगवाने को तैयार फौज की कमी नहीं और २४ घंटे में समाधान का दावा करने वाली फौज की भी कमी नहीं -जिसका परिणाम आपने जलेबी कब से नहीं खाई या बर्फी खाओ सब ठीक हो जाएगा ''बाबा'' का उदय भी इसी सोच और चाह की पैदाइश है। - मैने किताबो का अध्ययन करने के बावजूद बहुत करीब से लोगो की जिंदगी का अध्ययन भी किया है और वो मेरा रोज का शौक भी है - प्रधानमंत्री हर व्यक्ति नहीं बन सकता -पर किसी भी बड़े नेता का ये बयान फिर भी झूठा ही होता है कि उसके मन में प्रधानमंत्री बनने का लालच नहीं है -जबकि ये लालच तो ''सिद्धांत सहगल'' भी अपने मन में पालता है। पर चाहने से क्या होता है। अब प्रश्न यहाँ ये है कि इंसान की मुलभुत जरूरते वो तो पूरी होनी चाहिए --- पर मुलभुत जरुरतो का कौन सा अंत है एक बड़ा मकान -गाडी -बैंक बैलेंस - जबकि सच ये हैं कि ''बैंक का खाता'' तक नहीं नसीब लाखो लोगो के अभी भी तो बैंक बैलेंस तो भूल जाए। कई जिंदगिया मैने देखी गरीबी में ही जीवन गुजर गया -पत्नी छोड़कर चली गई -बच्चे भोजन तक नहीं पूछते। एक ही जवान बेटा गुजर गया -जीवन में कुछ नहीं बचा -कोइ सांत्वना का शब्द काफी नहीं उस माता के लिए उस पिता के लिए -करोडो है पर संतान नहीं- करोड़ो है पर संतान का एक्सीडेंट हो गया -अब माता-पिता अकेले हैं -चाय की दूकान से ही परिवार पाल लिया सुनी आँखों से बुढ़ापा गुजर रहा है -बच्चे भोजन भी सही तरीके से नहीं देते पडोसी खाना खिला देते हैं। अब ऐसे कई जातक है जो आते ही पूछते हैं - २३-२४-२५ साल की उम्र में पूछते है बता दीजिये डेस्टिनी में क्या है --- क्या बता दे? सबकी डेस्टिनी में राजयोग नहीं लिखा -कुछ कुण्डलियाँ काफी सपष्ट होती है कि बहुत सफलता के योग नहीं - '' पर आशा ही जीवन है'' इसलिए भविष्य का पर्दा बहुत जयादा न सरकाया जाय तो अच्छा है -वैसे कर्मो की तीब्रता भाग्य में उलट फेर कर देती है इसलिए ज्योतिष का कथन सत्य होने की कोई गारंटी नहीं -पर हाँ ये तो है कि कुंडली की गहराई क्या है समझा जा सकता है पर हमेशा बताना या मेरे विचार से एकदम सत्य बताना उचित नहीं। एक जातक को कोई ज्योतिष बता दे कि तेरी बीवी और बच्चा तेरा परिवार सिर्फ तेरे धन से प्यार करता है जोकि कुछ हद्द तक कड़वा सच है -पर ज्योतिष के मुह से सुनने के बाद उसके मन में अपने परिवार के प्रति घृणा भी जन्म ले सकती है जो कि उचित नहीं -वो व्यक्ति परिवार छोड़कर चल दे उसकी बीवी सड़क पर आ जाए उसके बच्चे भीख मांगे ये भी तो उचित नहीं।